
● संभल के रजपुरा थाना पुलिस को मिली कामयाबी, एएसपी अनुकृति शर्मा के नेतृत्व में चल रहा था अभियान।
● फर्जी बीमा गैंग से जुड़े 61 बीमा माफियाओं की हो चुकी है गिरफ्तारी।
● जीबी पंत हॉस्पिटल में मरीज के परिजनों से मिल, तैयार करते थे फर्जी दस्तावेज।
प्रवाह ब्यूरो
संभल। संभल जनपद में फर्जी बीमा माफियाओं के जाल को संभल पुलिस लगातार तोड़ने में लगी हुई है। एएसपी अनुकृति शर्मा के नेतृत्व में बीते कई महीनो से चल रहे अभियान के तहत जहां दर्जनों बीमा माफिया जेल जा चुके हैं तो वहीं करोड़ों रुपए के घोटाले की भी जांच चल रही थी।
फर्जी बीमा माफियाओं के तार दिल्ली के जीबी पंत हॉस्पिटल तक फैले हुए थे, जहां से हॉस्पिटल के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार कर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर बीमा राशि हड़पने का कार्य करते थे। एसपी कृष्ण कुमार के निर्देश पर लगातार चल रहे अभियान के तहत एएसपी अनुकृति शर्मा के नेतृत्व में रजपुरा पुलिस ने दिल्ली के जीबी पंत हॉस्पिटल तक फैले बीमा माफियाओं के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। जीबी पंत हॉस्पिटल के डॉक्टरों के फर्जी हस्ताक्षर और मोहर सहित अन्य दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। सभी बीमा माफियाओं के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करते हुए जेल भेजा गया है
संभल जनपद में फर्जी बीमा करने वाले गिरोह का लगातार पर्दाफाश हो रहा है। जहां संभल एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई के निर्देशन में एएसपी अनुकृति शर्मा के नेतृत्व में पुलिस टीम लगातार अभियान चलाकर बीमा माफियाओं की धर पकड़ और खुलासा करने में लगी हुई थी। जिसमें अब तक लगभग 61 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
जहां पुलिस ने जीबी पंत हॉस्पिटल दिल्ली से जुड़े बीमा माफियों में पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से गाजियाबाद का रहने वाला है। जिनमें दिल्ली के तिमारपुर निवासी वीरेंद्र कुमार पुत्र महावीर, दिल्ली के ही वेलकम थाना अंतर्गत नवाज अहमद पुत्र सफीक अहमद, दिल्ली के हर्ष विहार थाना अंतर्गत निवासी कल्पना पुत्री संजय कुमारी, दिल्ली के ही सुलेमान नगर थाना अंतर्गत प्रेम पुत्र किशनलाल तथा गाजियाबाद के लोनी थाना अंतर्गत राजनगर कॉलोनी निवासी रविंद्र गुप्ता पुत्र श्याम सुंदर प्रसाद को गिरफ्तार किया गया है। जिनके खिलाफ संबंधित धाराओं में दर्ज मुकदमे के आधार पर कार्यवाही करते हुए जेल भेजा गया है।
बीमा माफियाओं का फर्जी बीमा करने का यह था तरीका।
गिरफ्तार किए गए वीरेंद्र कुमार की भूमिका का विवरण-
गिरफ्तार किए गए फर्जी बीमा माफियाओं में से वीरेंद्र कुमार पुत्र महावीर निवासी दिल्ली द्वारा बताया गया कि वह कक्षा 12 तक पढ़ा हुआ है। बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। लेकिन पैसों की कमी के चलते ट्रेनिंग नहीं ले पा रहा था। 2020 से 2022 तक जीबी पंत हॉस्पिटल दिल्ली के बाहर गार्ड की नौकरी की। जीवी पंत हॉस्पिटल में किसी मरीज को दिखाने के लिए पर्ची लगानी पड़ती है। वीरेंद्र अपनी जानकारी से लोगों की पर्ची जल्दी बनवा देता था और दलाली के लिए उसे सौ से दो सौ रुपए तक मिल जाते थे।
2022 के अंत में शाहरुख खान से जीबी पंत हॉस्पिटल के बाहर जानकारी हुई। शाहरुख खान ने बताया कि उसके पास फर्जी बीमा करने का एक तरीका है। जिसमें कम समय में काफी रुपया मिल सकता है। क्रिकेट खेलने का सपना भी पूरा हो जाएगा। अस्पताल में आने वाले मरीजों को देखकर उनके परिजनों से बात कर उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड प्राप्त करने होंगे। जिन्हें वह शाहरुख खान को देगा।
फिर यही खेल शुरू हुआ। शाहरुख खान दस्तावेज लेकर अपनी महिला मित्र कल्पना की मदद से उनके बैंक खाता खुलवाता और अकाउंट की पासबुक, डेबिट कार्ड तथा चेक बुक अपने पास ही रख लेते थे। बीमा की राशि आने पर उसका 20 प्रतिशत हिस्सा नॉमिनी को देते थे। जहां वह फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र भी जरूरत पड़ने पर एमसीडी के बाहर काम करने वाले दलाल प्रेम से बनवाते
थे। इस प्रकार धोखाधड़ी से कई लोगों का बीमा कराया और मोटी बीमा राशि भी प्राप्त की। इसके बाद वीरेंद्र ने गिरोह के साथ जुड़ने के बाद गार्ड की नौकरी भी छोड़ दी थी और क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी।
एक मृतक त्रिलोकी का भी बीमा करने के लिए जीबी पंत हॉस्पिटल से बनवाया था मृत्यु प्रमाण पत्र।
वीरेंद्र ने मृतक त्रिलोकी के परिजनों से बात की। मृत्यु से पहले गंभीर हालत में उसे जीबी पंत हॉस्पिटल में दिखाने के लिए कहा गया था लेकिन वीरेंद्र ने वहां की जगह उसे लोकनायक अस्पताल में दिखाने को कहा। जब त्रिलोकी की मृत्यु हो गई तो उसने शाहरुख से बात की और मृत्यु के बाद भी बीमा कराने का आश्वासन दे दिया। वीरेंद्र ने फिर मृतक त्रिलोकी की पत्नी सपना से बात करते हुए मृतक के आधार और पैन कार्ड भेजने को कहा। सभी दस्तावेज लेने के बाद शाहरुख को दे दिए गए। जहां तीन पॉलिसी कराई गईं। अब बीमा पॉलिसी कराने के बाद उसकी मृत्यु होना भी दोबारा जरूरी था। इसके लिए जीबी पंत हॉस्पिटल के फर्जी मेडिकल प्रपत्र तैयार किए गए और त्रिलोक को जीबी पंत हॉस्पिटल के दस्तावेजों के अनुसार 27 दिसंबर 2024 को हृदयघात से मरना दिखाया गया।
अस्पताल में जान पहचान होने के चलते अस्पताल के कर्मियों में से एक नवाज अहमद नाम का व्यक्ति था जो जीबी पंत में काम करता था। वह ईसीजी निकालना जानता था। नवाज से योजना के बारे में बात की और पांच हजार रुपए में इसीजी तथा जीबी पंत के सभी खाली फॉर्म के 12 हजार रुपए बताए। वहां काम करने वाले डॉक्टरों की मोहर तथा फर्जी हस्ताक्षर तैयार किए गए। हृदयाघात की पूरी फाइल के फोटो खींचकर शाहरुख को भेज दिए गए जिससे कि वह भी त्रिलोक की इस तरह फाइल तैयार की जा सके
प्रक्रिया पूरी होने के बाद क्लेम के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया था। एचडीएफसी लाइफ पॉलिसी का इन्वेस्टिगेशन रविंद्र गुप्ता ने आवेदन किया था। जिसका नाम शाहरुख ने राजेश के नाम से सेव कर लिया था। रविंद्र से सेटिंग होने के बाद क्लेम के कागज में जो भी कमियां होती थीं उसे पूरी कल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट भी कंपनी को भेज देती थी, जिसकी वजह से एचडीएफसी लाइफ का 20 लाख रुपया नॉमिनी सपना का खाते में आ गया।
गिरफ्तारी के बाद सपना के डेबिट कार्ड, बैंक पासबुक पुलिस ने बरामद कर लिए थे तो वह रुपए नहीं निकाल पाए।
अन्य बीमा माफियाओं के शामिल होने की कहानी।
कल्पना ने बताया कि उसने बीए किया है। वह एक वर्ष से सीएसबी बैंक में बिजनेस डेवलपमेंट के पद पर कार्यरत है। 2022 में उत्कर्ष में और उसके बाद उज्जीवन बैंक में कार्य कर चुकी है। उसका वेतन 25 हजार रुपए महीने का था। 2022 में शाहरुख नाम के व्यक्ति से संपर्क किया, दोस्ती हुई, और बैंक में खाता खुलवाने के लिए शाहरुख द्वारा भी कल्पना से संपर्क तय कर लिया गया।
जिसमें बीमा माफिया प्रेम की भी भूमिका थी। जो कि कोरोना काल में दिल्ली के एमसीडी के बाहर लोगों के फार्म भरवाने का काम करता था। जिससे उसकी पहचान एमसीडी के कर्मचारियों से हो गई थी। लोग फॉर्म भरवाने के लिए आते थे। वह धोखाधड़ी से लोगों का बीमा करवाता था और शाहरुख के साथ काम करने से उसकी अच्छी कमाई हो रही थी।
इसके अलावा रविंद्र गुप्ता, जिसने 12वीं तक की पढ़ाई की थी। सीपीएस कंपनी में करीब 6 साल तक बीमा पॉलिसी की इन्वेस्टीगेशन का काम किया। दिल्ली एनसीआर का काम होने के चलते वह केएलसीआर कंपनी में इन्वेस्टिगेशन का काम करने लगा। मृतक त्रिलोक के एचडीएफसी बीमा क्लेम की इन्वेस्टीगेशन उसी के पास आई थी। शाहरुख खान नाम के व्यक्ति से मुलाकात हुई और सभी कमियां पूरी करके उसकी फाइल भेज दी थी।
पांचों अभियुक्तों से यह दस्तावेज हुए बरामद।

गिरफ्तार किए गए फर्जी बीमा माफियाओं के अंतर्राज्यीय गिरोह के पांच सदस्यों के पास से पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान एक मोबाइल वीरेंद्र से व एक मोबाइल नवाज अहमद से, बीमा माफिया कल्पना से डॉक्टर के फर्जी हस्ताक्षर और सील मोहर, बरामद किए गए हैं।
सभी बीमा माफियाओं के खिलाफ संबंधित धाराओं में दर्ज मुकदमे के आधार पर कार्यवाही करते हुए जेल भेजा गया है।
संभल से वीरेश कुमार की रिपोर्ट…