
● अब कुल 57691 पंचायतों में होगा मतदान, महिलाओं को मिलेंगी 33 फीसदी सीटें।
● राज्य निर्वाचन आयोग ने भी मतपेटियों के लिए जारी किये ई-टेंडर।
● सूत्रों की माने तो आगामी मार्च-अप्रैल में पंचायत चुनाव होने की जताई जा रही है प्रबल संभावना।
प्रवाह ब्यूरो
लखनऊ। यूपी में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है, इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। यूपी के ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है। सूबे में करीब 57691 ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, 826 ब्लॉक प्रमुख, 3200 जिला पंचायत सदस्य और 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव होने हैं। यूपी के चुनाव आयोग सूबे में पंचायत चुनाव को अगले साल हर हाल में कराने की तैयारी में है।
जहां आगामी वर्ष 2026 के मार्च-अप्रैल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है। साथ ही माना जा रहा है कि यह चुनाव 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक सेमीफाइनल की तरह होगा, जो कि सभी राजनीतिक दलों के लिए अपनी ताकत आजमाने का मौका होगा। सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ-साथ सपा, कांग्रेस और प्रदेश के छोटे दलों ने भी अकेले मैदान में उतरने की ताल ठोक दी है। जिसके बाद प्रदेश के सियासी समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं। एनडीए और इंडिया अलायन्स के दल भी अलग चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं, जिस कारण लड़ाई और दिलचस्प होती जा रही है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं, जिसमें मतपेटियों के लिए ई-टेंडर आदि जारी कर दिये गए हैं। शनिवार को
पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायतों में आरक्षण की व्यवस्था 2011 की जनगणना के आधार पर होगा। पूर्ववत् हर वर्ग के आरक्षण में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। साथ ही पिछले चुनाव में लागू नियमावली में निर्धारित की गई आरक्षण की रोटेशन की व्यवस्था का भी पालन किया जायेगा।
राजभर ने पंचायतीराज निदेशालय में विभागीय कार्यों की समीक्षा के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ग्राम पंचायत की जो सीट पिछली बार सामान्य, पिछड़ी, महिला या अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षित रही, इस बार के चक्रानुक्रम में उसकी श्रेणी में बदलाव हो सकता है। उन्होंने बताया कि जिन ग्राम पंचायतों का परिसीमन होना है, वहां उनमें सर्वे जारी है। परिसीमन का कार्य पूरा होते ही तत्काल आरक्षण की व्यवस्था पर भी विचार होगा। पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था को बेहतर ढंग से लागू किया जाएगा। जिसके चलते ही कुछ गांवों में बदलाव हुआ है।
राजभर ने कहा कि आरक्षण के कोटे में कोटा लागू कराने के लिए वे जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।
गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव किसी दल के सिंबल पर नहीं होता है। ऐसे में इस चुनाव में गठबंधन का सवाल ही नहीं है। सभी जिलों में जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान के पद पर चुनाव लड़ा जाएगा।