नवीन रूप में दिखा 9 माह बाद टंगा संभल का ऐतिहासिक चक्की पाट।

● मूसलाधार बारिश के चलते 18 सितंबर 2024 को हुआ था जमींदोज।

● नगर पालिका ने कराया दीवार का निर्माण, पाट टांगने के बाद लोग जाता रहे आभार।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। संभल की पहचान व ऐतिहासिक धरोहर चक्की का पाट लगभग 9 माह बाद नगर पालिका द्वारा मजबूत दीवार बनाकर पुन: प्रतिस्थापित करा दिया गया। चक्की के पाट को पुनः दीवार पर टंगा देखकर शहर की प्राचीनता के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहर को लेकर चर्चा का माहौल बन गया।
बता दें कि कई वर्षों से शहर के डाकखाना मार्ग पर किले की जर्जर दीवार पर टंगा होने के चलते 18 सितंबर 2024 को मूसलाधार बारिश के दौरान यह पाट जमींदोज हो गया था।
तदोपरांत जिला प्रशासन ने मजबूत दीवार तैयार करने का फैसला लिया जिसके लिए पीडब्ल्यूडी और नगर पालिका ने संयुक्त रूप से काम आरंभ किया। 24 नवंबर को जमा मस्जिद के सर्वे के विरोध में हिंसा हुई तो काफी दिनों के लिए कार्य थम गया। हालात सामान्य होने के बाद कार्य में फिर से तेजी आई तो मजबूत दीवार का निर्माण करा उस पर लाल पत्थर लगाकर पाट को पुनः प्रतिस्थापित कर नए रूप में संवार दिया गया। बता दें की चक्की के पाट का जिक्र प्रसिद्ध पुस्तक ‘संभल महात्म’ में भी उल्लेखित है। जिसमें इसे करीब 1000 साल पुराना होने का दावा है। इसका किस्सा पृथ्वीराज चौहान कन्नौज नरेश राजा जयचंद के किस्से से जुडा है।
कहा जाता है कि जयचंद की सेना के योद्धा आल्हा, ऊदल और मलखान अपना भेष बदलकर नट की वेशभूषा में जयचंद की बेटी संयोगिता का पता लगाने संभल पहुंचे थे। जहां उन्हें राजा पृथ्वीराज चौहान को किले में होने की जानकारी मिली थी। वर्तमान में जिस स्थान पर चक्की का पाट टंगा हुआ था यह कभी किले की दीवार हुआ करती थी जहां एक खिड़की थी। नट की वेशभूषा वाले आल्हा ने खिड़की से झांकने के लिए पहले एक छलांग लगाकर कील ठोंकी फिर वहां चक्की का पाट टांगा। जहां उस समय पाट की ऊंचाई लगभग 60 फिट होने का जिक्र मिलता है।
अब ऐतिहासिकता का प्रतीक गर्व और धरोहर रूपी चक्की का पाट पुन: टंगने को लेकर लोगों में खुशी का माहौल है। जहां लोग शासन-प्रशासन सोशल मीडिया पर इस जीर्णोद्धार कार्य को लेकर बधाई देते हुए आभार व्यक्त करते नजर आ रहे हैं।

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