संभल में यूरिया खाद की किल्लत : दिनभर लाइन में भूंखे-प्यासे लग रहे किसान।

समिति व निजी दुकानों पर खाद को लेकर हाहाकार, गर्मी, बारिश के बीच लंबी लाइन।

सरकारी समितियों पर यूरिया खाद के लिए लग रही हजारों किसानों की लाइन।

प्राइवेट खाद विक्रेता भी 600 से एक हजार रुपए प्रति बैग तक बेच रहे।

सुबह 4 बजे से देर शाम तक लाइन में खड़े होने के बाद भी किसानों को लौटना पड़ रहा खाली हाथ।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। हम जाय रहे हैं भोर होत ही और हां दिन भर लाइन में लगनों पड़त है। तब कहीं जायके एक कट्टा मिल पावेगो, और प्राइवेट लेओगे तो इतने रूपया कहां। इसलिए बिना खाना खाए जा रहे हैं, नहीं तो लाइन में भीड़ हो जाएगी। और हां शाम तक लौटेंगे, नंबर आ गया तो मिल जाएगा नहीं तो खाली हाथ भी आना पड़ सकता है। क्या करें साहब! जब फसल खेत में है तो लाइन में तो लगना पड़ेगो, नहीं तो फसल सही नहीं हो पाएगी। और कोई बात नहीं दिनभर भूंखे ही रह लेंगे लाइन में, यदि कुछ खाने चले गए तो फिर खाद न मिल पावेगो, इसलिए भूंखे प्यासे ही लाइन में रहनो पड़ेगो। और पानी भी पी लिओ लाइन से हटकर तो फिर कोई लाइन में न लगने देगो।
यह स्थिति है संभल जनपद में यूरिया खाद को लेकर किसानों की।
संभल जनपद में यूरिया खाद को लेकर किसानों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। जिलेभर में खाद की किल्लत को लेकर जहां किसान परेशान हैं, तो वहीं दिनभर सुबह से देर शाम तक भूंखे प्यासे और बारिश के बीच कतार में खड़े होकर दिन बिता रहा है। धक्का-मुक्की और गर्मी तथा बारिश के बीच दिन भर लाइन में खड़े होने के बावजूद भी खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है।

संभल जनपद में खाद न मिलने से जहां किसान नाराज है तो कहीं हंगामा कर रहा है, तो कहीं जाम लगाता है। लेकिन सुबह 4 बजे से ही बिना कुछ खाए पिए समिति की लाइन पर लग जाता है। समिति खुलने तक हजारों की लाइन दिखाई देती है। लेकिन समिति पर हजारों यूरिया के कट्टे नहीं होते। इसके बावजूद भी किसान यूरिया खाद मिलने की आस में दिनभर भूंखे प्यासे लाइन में लगा रहता है और उसे शाम को बिना यूरिया खाद के वापस लौटना पड़ता है।
हजारों की संख्या में छोटे बच्चों की तरह लाइन में धक्का-मुक्की करते हुए एक कट्टा यूरिया के लिए दिनभर गुजारना पड़ रहा है।
जनपद की सभी सहकारी समितियों पर हाहाकार मचा हुआ है तो वहीं प्राइवेट दुकानदारों की चांदी कट रही है।
संभल, चंदौसी, बहजोई, गुन्नौर, हयात नगर, सौंधन, खिरनी, जुनावई, पतरिया, रजपुरा या जनपद की अन्य सहकारी समितियों पर समिति खुलने पर हजारों की संख्या में भीड़ पहले ही एकत्रित हो जाती है। जिन किसानों के लिए एक से अधिक यूरिया बैग की जरूरत है, उन्हें भी दिन भर लाइन में लगने के बाद एक ही बैग मिल पा रहा है। फिर कहीं-कहीं तो दिन भर लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौटना, और घर आकर बस यही कहना कि आज खाद नहीं मिल पाया, अधिकांश किसानों से सुनने को मिल रहा है।
आखिर संभल जनपद में यूरिया की भरपूर मात्रा नहीं या फिर वितरण सही तरीके से नहीं हो पा रहा। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। दूसरी तरफ संभल जिलाधिकारी ने भी कहा है कि यूरिया खाद में वितरण करने के दौरान अगर किसी ने पक्षपात किया तो उसे पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। इसके बावजूद भी जनपद में यूरिया खाद वितरण की स्थिति बद से बदतर है।
इतना ही नहीं इसका लाभ प्राइवेट दुकानदार ले रहे हैं। जहां यूरिया का प्रति बैग 600 रुपए से लेकर 1100 रुपए तक दिया जा रहा है।
किसान ने कभी नहीं सोचा होगा कि एक दिन यूरिया के लिए दिनभर लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ेगा।
यूरिया खाद को लेकर जिले भर में हाहाकार मचा हुआ है और जनपद की समितियों पर किसानों की लंबी कतार लगी दिखाई दे रही है।
हालांकि किसानों की समस्या को देखते हुए जिलाधिकारी डॉ राजेंद्र पैंसिया ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर आवश्यक निर्देश भी दिए हैं। जहां बिना खतौनी के यूरिया वितरित करने पर रोक लगाई गई है। इसके बावजूद भी किसानों की समस्या खत्म नहीं हो रही है।

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