जिलेभर में अवैध अस्पतालों पर छापेमारी से झोलाछापों में हड़कंप।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुलिस के सहयोग से चलाया जा रहा छापेमारी का अभियान।

फर्जी चिकित्सीय डिग्री लगा, धड़ल्ले से संचालित हो रहे अस्पताल व नर्सिंग होम।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। संभल जनपद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध अस्पतालों पर छापेमारी अभियान से जिले भर के झोलाछापों में हड़कंप मचा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनपद में पुलिस के सहयोग से लगातार अवैध अस्पतालों पर छापेमारी की जा रही है। लगभग 30 अवैध अस्पतालों पर छापेमारी कर कार्यवाई की तैयारी हो चुकी है। जहां संभल में एसडीएम तथा नोडल अधिकारी मनोज चौधरी, चंदौसी में तहसीलदार सहित स्वास्थ्य विभाग तथा बहजोई में एएसपी अनुकृति शर्मा के साथ तथा गुन्नौर क्षेत्र में एसडीएम तथा स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा लगातार छापेमारी की गई।
जिलेभर में संचालित अवैध अस्पताल संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुलिस के सहयोग से लगातार की जा रही छापेमारी से झोलाछापों में हड़कंप है।

झोलाछापों द्वारा बिना किसी चिकित्सीय डिग्री के फर्जी तरीके से किसी एमबीबीएस के डिग्री लगा दी जाती है और फर्जी रजिस्ट्रेशन के साथ अस्पताल या नर्सिंग होम तथा लैब संचालित कर ली जाती हैं।
मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करते हुए मोटी रकम भी वसूली जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में फर्जी चिकित्सा डिग्री तथा कोई भी चिकित्सा डिग्री नहीं होने पर भी धड़ल्ले से झोलाछाप अपनी दुकानें संचालित कर रहे हैं।
जिनके पास न तो कोई रजिस्ट्रेशन होता है और न ही इन्हें स्वास्थ्य विभाग या वरिष्ठ अधिकारियों का खौंफ। जिलेभर में 30 से अधिक अस्पतालों पर छापेमारी की जा चुकी है तथा अभियान के तहत लगातार स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुलिस के सहयोग से छापेमारी जारी रहेगी। इसी क्रम में संभल, चंदौसी, गुन्नौर तहसील क्षेत्र में मंगलवार सुबह से ही अभियान चलाया गया।

फर्जी लैब से फर्जी जांच कर शुरू कर देते हैं इलाज।

जनपद घर में पहले सुरक्षा बिना किसी चिकित्सा डिग्री के जहां मरीजों का इलाज करते हैं और मोटी रकम वसूलते हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी झोलाछाप फर्जी लैब में ही फर्जी तरीके से जांच कर उसी के आधार पर इलाज शुरू कर देते हैं। जिससे मरीजों की तबीयत और अधिक बिगड़ती चली जाती है और ये मोटी रकम वसूलते रहते हैं। इतना ही नहीं अगर इन पर दबाव बस कार्रवाई हो भी जाती है तो कुछ दिनों पश्चात ये अपनी लैब आदि को पुनः खोल लेते हैं क्योंकि उन्हें न मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने का डर होता है, न ही किसी स्वास्थ्य विभाग या अन्य उच्च अधिकारियों से सख्त कार्रवाई का।

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