बांध धाम पर धार्मिक अनुष्ठानों के संग शुरू हुआ गुरु पूर्णिमा महोत्सव।

● एक सप्ताह तक चलेगा महोत्सव, हर दिन होगें विधिवत कार्यक्रम।

● इस बार 4 जुलाई से लेकर 10 जुलाई तक मनाया जायेगा यह महोत्सव।

● संभल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार है हरि बाबा बांध धाम।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। रजपुरा क्षेत्र के हरि बाबा बांध धाम पर गुरू पूर्णिमा का मंगलकारी महोत्सव शुक्रवार से आरम्भ हो गया। हरि बाबा बांध धाम पर प्रति यह महोत्सव बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आसपास के क्षेत्र से तमाम श्रद्धालु यहां जुटे रहते हैं। इतना ही नहीं आसपास के गांवों के तमाम लोग यहां आकर हरिनाम संकीर्तन में उत्साह के साथ प्रतिदिन भागीदारी करते हैं।

यहां पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मुम्बई, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों के शहरों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने गुरु पूर्णिमा पर आते हैं। शुक्रवार को श्री हरि धाम बांध ट्रस्ट समिति द्वारा उपलब्ध कराये गए कार्यक्रम ब्यूरा के अनुसार इस वर्ष कार्यक्रम कुछ इस प्रकार रहेंगे।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यहां प्रतिवर्ष रासलीला के सुंदर मंचन के साथ-साथ श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भी किया जाता है। जिसे यहां आये लाखों श्रद्धालु बडे भक्ति भाव से दर्शन एवं श्रवण करते हैं। इतना ही नहीं यहां आये पर्यटक व भक्तगण हरि नाम संकीर्तन में भक्तिमय होते दिखाई देते हैं।

यही वजह है कि महोत्सव के पहले दिन से ही यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालुगण आना शुरू हो जाते हैं। महोत्सव के उपलक्ष्य में यहां सप्ताह भर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन होता है। एक सप्ताह तक चलने वाला यह महोत्सव इस वर्ष 4 जुलाई से लेकर 10 जुलाई तक मनाया जा रहा है। जिसमें गौरांग कृष्ण लीला मंडल वृंदावन के लोकप्रिय कलाकारों की रासलीला के साथ-साथ पं. दीपक कृष्ण उपाध्याय की भागवत कथा के प्रवचन सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो सकेगा।

बता दें कि संभल जिले के गवां क्षेत्र में बने हरिबाबा बांध धाम में लोगों की अगाध आस्था है। पंजाब के होशियारपुर जनपद के गंदोवाल से 1918 में गवां आए हरिबाबा ने इस क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए गंगा नदी पर एक लंबा तटबंध बनवाया था। तब से लोग उन्हें बड़े श्रद्धाभाव से पूजते हैं।

यूं तो विख्यात संत परम पूज्य श्री हरिबाबा महाराज का नाम किसी परिचय विशेष का मोहताज नहीं है। लाहौर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर आए बाबा ने इस क्षेत्र की सेवा में अपना जीवन लगा दिया। श्रमदान कर 35 मील लंबा मिट्टी का बांध बनाकर क्षेत्रवासियों को हर वर्ष होने वाली गंगा की बाढ़ की विनाश लीला से बचाया। यही वजह रही कि हरिबाबा क्षेत्र के लिए एक अवतार बने। क्षेत्रवासियों ने उनके अनेक चमत्कार भी देखे। क्षेत्र के लोग उन्हें भगवान की भांति पूजते हैं। बांध धाम पर गुरु पूर्णिमा पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। कई राज्यों से श्रद्धालु यहां आते है। इतना ही नहीं सन् 1970 से ही हरे राम-हरे राम, राम-राम हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे महामंत्र का जाप यहां अनवरत 24 घंटे चल रहा है।

बता दें कि महान संत हरिबाबा का जन्म पंजाब के होशियारपुर जिले के गंधवाल गांव में सरदार प्रताप सिंह के घर पर हुआ था। अपने गुरुदेव सच्चिदानंद और भगवान में पूर्ण आशक्ति रखने वाले हरिबाबा जन्म से ही बैरागी स्वभाव के थे। लाहौर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस फाइनल छोड़कर वे घूमने निकल पड़े। यहां-वहां घूमते हुए जब वे गवां क्षेत्र में आये तो हालात देखकर उनका हृदय द्रवित हो गया। यहां गंगा की भीषण बाढ़ से प्रलय मची हुई थी। हांलाकि बाढ़ को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने भी तमाम प्रयास किये लेकिन सफल नहीं हुई।
अंग्रेज हर साल बाढ़ रोकने को मिट्टी का बांध बनाते थे जो बह जाता था। इसके बाद गंगा गुन्नौर तहसील क्षेत्र के अलावा सहसवान क्षेत्र तक अपनी विनाश लीला दिखाती थी। क्षेत्रीय जनता की पीड़ा देखकर बाबा ने 1920 में स्थानीय लोगों के सहयोग से बांध का निर्माण शुरू करवाया। हौसले इतने जबरदस्त थे कि 35 मील लंबा बांध छह माह में बनकर तैयार हो गया। इस तरह बाबा ने कम समय में वह कार्य कर दिखाया जो ब्रिटिश सरकार सालों में नहीं कर सकी थी।
इसके बाद बाबा बनारस में ब्रह्मालीन हो गए। उनके पार्थिव शरीर को यहां उनकी कर्मस्थली में लाकर समाधि दी गयी और यहां एक भव्य मंदिर की स्थापना हुई। यही कारण है कि आज भी यहां आने वाले श्रद्धालु बांध पर अपना श्रमदान करना नहीं भूलते हैं। हरिबाबा के दर्शन करने के बाद बांध पर एक छबड़ा मिट्टी अवश्य डाली जाती है। जो दर्शन पूर्ण होने का प्रतिफल माना जाता है।

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