गोरखनाथ मंदिर परिसर में योग करते सीएम योगी आदित्यनाथ
● बोले- योग सनातन ऋषि परंपरा का ऐसा मंत्र, जो देता है स्वस्थ मस्तिष्क।
प्रवाह ब्यूरो लखनऊ। ग्यारहवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर मंदिर परिसर में योग किया। जहां उन्होंने मंदिर के दिग्विजय नाथ स्मृति भवन सभागार में योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
गोरखनाथ मंदिर परिसर में सामूहिक योग सत्र के दौरान भारी संख्या में जनप्रतिनिधि भी पहुंच गए तो वहीं कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि योग भारत की सनातनी ऋषि परंपरा का एक ऐसा मंत्र है, जो हम सबके लिए एक स्वस्थ मस्तिष्क और स्वस्थ काया प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय ऋषियों ने योग के महत्व के बारे में प्राचीन काल से ही बताया है। भारतीय ऋषियों का मान रहा है कि शरीर माध्यम खलु धर्म साधनम् अर्थात् जितने भी धर्म के साधन हैं, इन सब की प्राप्ति स्वस्थ शरीर से ही की जा सकती है।
स्वस्थ शरीर केवल योग के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने कहा कि बिना स्वस्थ शरीर के धर्म का भी कार्य नहीं हो सकता। स्वस्थ शरीर से ही कामनाओं की पूर्ति होती है। भारत ने योग को आत्म कल्याण का माध्यम बनाकर लोक कल्याण के जरिए विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। कहा कि हम लोगों कि विरासत से दुनिया लाभान्वित होती थी और आज भी हो रही है। कार्यक्रम के दौरान गोरखपुर सांसद रवि किशन के साथ जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और अन्य जन प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
मंच पर योग करते योगाचार्य सुरेंद्र आर्य विद्यार्थी व अन्य योग साधक
● अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को लेकर बोले योगाचार्य सुरेन्द्र आर्य विद्यार्थी।
प्रवाह ब्यूरो लखनऊ। योग जीवन दर्शन का प्रबंधन है। योग आत्मानुशासन है। योग मात्र शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन शैली है। 21 जून, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर आज जहां भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व योग को अपना रहा है। इसी क्रम में बीते 15 जून से 21 जून तक योग सप्ताह का आयोजन भी किया जा रहा है। योग को लेकर यूपी के संभल जनपद से योगाचार्य सुरेन्द्र आर्य विद्यार्थी ने कहा कि योग मात्र शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन शैली है। योग चित्त को निर्मल और निर्बीज करने की परम आध्यात्मिक विद्या है। उन्होंने बताया कि योग संपूर्ण चिकित्सा का विज्ञान है, योग जीवन का भी विज्ञान है। योग व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व की संपूर्ण समस्याओं का अमोघ और पूर्ण समाधान है। सुरेंद्र आर्य ने कहा कि योग संपूर्ण जीवन दर्शन है। योग द्वारा आंतरिक और बाह्य रूपों में समग्र आरोग्यता प्राप्त होती है। योग से संपूर्ण सौंदर्य की प्राप्ति होती है। योग से हमारा समग्र व्यक्तित्व निखरता है। आरोग्य, निर्भयता, स्वतंत्रता, सहनशीलता, सहिष्णुता, सुख, शांति, सुरक्षा, प्रेम, करुणा, वात्सल्य, धैर्य, प्रज्ञा, विवेक, सौंदर्य, आनंद, ओज, तेज, सफलता, अमृत योग के ही परिणाम हैं।
योग पर अपने विचार व्यक्त करते योगाचार्य सुरेंद्र आर्य विद्यार्थी
उन्होंने कहा कि अपने आपके कुसंस्कारों, दोष दुर्गुणों का परिशोधन, परिमार्जन और उसके स्थान पर सज्जनता, सदाशयता का संस्थापन करना है। आमतौर पर अपने दोष, दुर्गुण दिखाई नहीं पड़ते। यह कार्य विवेक रूपी बुद्धि को अंतर्मुखी होकर करना पड़ता है। आत्म निरीक्षण,आत्मसाधना, आत्म सुधार, आत्मनिर्माण, आत्म विकास, आत्मविश्वास एवं आत्म सम्मान इन सात तत्वों पर कठोर समीक्षण – परीक्षण की दृष्टि से अपने आप को हर कसौटी पर परखना चाहिए। जो दोष दिखाई दे उनके निराकरण के लिए हर संभव प्रयत्न करना चाहिए। चित्त की वृत्तियों का रुक जाना ही योग है। असत्य, कल्पना और स्वप्नों में रहना मन को सार्थक लगता है। मन भूत की व्यथा में, पीड़ा में, अतीत की स्मृतियों में अथवा भविष्य की चिंता में खोया रहता है। योग का अर्थ है वर्तमान में जीना, जहां न तो दुख होता है न ही चिंता। वर्तमान में होता है- सृजन। भविष्य का भय न करने वाला व्यक्ति ही वर्तमान का आनंद ले सकता है। वर्तमान ही भूत का निर्माण और भविष्य की आधारशिला तैयार करता है। भूत तथा भविष्य दोनों ही सत्ता विहीन होते हैं। सत्ता तो केवल वर्तमान की होती है, वर्तमान में जीने से ही जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है। मन के पार जाने से ही चेतन आत्म का अस्तित्व स्वरूप स्व अनुभव में आता है। अतः योग का अर्थ है- अपनी चेतना, केंद्र या अस्तित्व के साथ जुड़ना, स्वयं की पहचान करना, अन्तस्थ अंतर्यामी परमात्मा को प्रत्यक्ष जानना। पिंड को ब्रह्मांड में और ब्रह्मांड को पिंड में देखना। वास्तविक योग मन से पार जाने के बाद ही आरंभ होता है। मन से परे चेतना का वास्तविक अस्तित्व प्रारंभ होता है। मन में आग्रह, भूत की अस्तित्व विहीन व्यथाएं और भविष्य की अनगिनत कल्पनाएं होती हैं। हम ज्ञात में जीना चाहते हैं, जबकि अज्ञात से भयभीत रहते हैं। इसलिए हम कोई नया काम करने का साहस नहीं जुटा पाते। हमें योग द्वारा स्वास्थ,समृद्ध और संस्कारवान व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के निर्माण का लक्ष्य बनाना चाहिए। हमें रोगी को निरोगी, भोगी को योगी तथा स्वस्थ को उपयोगी बनाकर मानव मात्र की स्वच्छता उत्पादकता, सकारात्मक तथा सृजनात्मक और गुणवत्ता बढ़ाकर एक प्रगतिशील सभ्य और समृद्ध समाज तथा राष्ट्र, विश्व का निर्माण करने की दिशा की ओर अग्रसरित होना चाहिए। जब हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मात्सर्य के ऊपर हावी हो जाते हैं तब हमें खुशी मिलती है और जब इनमें से कोई भी एक या अधिक हमारे ऊपर हावी हो जाते हैं तो हम दुखी हो जाते हैं। इसलिए योग उनके ऊपर ज्ञानपूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर कर शक्ति का रूपांतरण करना सिखाता है। उपरोक्त स्वैच्छिक विचार व्यक्त करते हुए योगाचार्य सुरेंद्र आर्य विद्यार्थी ने कहा कि हमें योग की शरण में आना चाहिए जिससे सारी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर जीवन जीने का मार्ग मिले।
नए डीजीपी राजीव कृष्ण को बुके भेंट कर कार्य भार ग्रहण करने की शुभकामनाएं देते रिटायर्ड डीजीपी प्रशांत कुमार।
● 1991 बैच के आईपीएस हैं राजीव कृष्ण, हाईटेक पुलिसिंंग के माने जाते हैं एक्सपर्ट।
● यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष व डीजी विजिलेंस के पद पर हैं कार्यरत।
प्रवाह ब्यूरो लखनऊ। पिछले कई दिनों से यूपी में नए डीजीपी को लेकर चल रही उथल-पुथल अब खत्म हो चुकी है। योगी सरकार ने नए डीजीपी की नियुक्त पर मुहर लगा दी है। उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी 1991 बैच के आईपीएस राजीव कृष्ण को बनाया गया है। राजीव कृष्ण यूपी में लगातार 5वें कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए हैं। 26 जून 1969 को गौतमबुद्ध नगर में जन्मे राजीव कृष्ण ने इलेक्ट्रानिक्स और कम्युनिकेशन में बीई किया हुआ है। उनके पिता का नाम एचके मित्तल है। राजीव कृष्ण 1991 बैच के आईपीएस हैं। जो यूपी कैडर के एक शानदार आईपीएस अधिकारी हैं। वर्तमान में यूपी पुलिस के डीजी विजिलेंस और प्रोन्नति भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर तैनात हैं। राजीव कृष्ण आगरा में 2004 में एसएसपी के पद पर तैनात थे, जहां उन्होंने अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया था, जिससे वह चर्चा में आ गए थे। बीहड़ में सक्रिय अपहरण गिरोह के खिलाफ राजीव कृष्ण ने ही प्रभावी कार्यवाई की थी। आगरा के एडीजी से पिछले वर्ष ही डीजी विजिलेंस के पद पर तैनात किए गए थे। जहां उन्हें हाईटेक पुलिसिंग के लिए भी जाना जाता है। एडीजी रहते हुए उन्होंने ऑपरेशन पहचान ऐप के माध्यम से अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाया। इतना ही नहीं राजीव कृष्ण ने महिला बीट, एंटी रोमियो स्क्वायड की ऑनलाइन मॉनिटरिंग का सिस्टम्स, ईमाल खाने से मुकदमा का ऑनलाइन रिकॉर्ड तक उनकी अलग सोच का परिणाम रहा है। साइबर अपराध के खिलाफ भी राजीव कृष्ण ने बड़ा अभियान चलाया था। आईपीएस राजीव कृष्ण उत्तर प्रदेश के जनपद गौतम बुद्ध नगर के रहने वाले हैं।
इस प्रकार रही उनकी शैक्षणिक योग्यता और प्रमोशन।
उनका जन्म 26 जून 1969 को हुआ। उन्होंने बैचलर आफ इंजीनियरिंग इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। इसके बाद यूपीएससी की परीक्षा में सम्मिलित हुए। यूपीएससी की ओर से 1991 में उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की। 1993 में आईपीएस कंफर्मेशन के बाद उनके सीनियर स्केल में प्रमोशन 1995 में हो गया। सिलेक्शन ग्रेड में 9 अगस्त 2005 को उनका प्रमोशन हुआ। 7 अगस्त 2007 को डीआईजी पोस्ट पर प्रमोट किए गए। 9 नवंबर 2010 को आईजी के रूप में प्रमोशन हुआ। राजीव कृष्ण 1 जनवरी 2016 को एडीजी बनाए गए थे। फरवरी 2024 में योगी सरकार ने उन्हें डीजी के पद पर प्रमोट किया। मुख्यमंत्री ने अब एक और बड़ी जिम्मेदारी दी है। इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने देश की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा का भी आयोजन सफलतापूर्वक कराया। जिसके चलते ही इन्हें अब उत्तर प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया है।