बरेली बवाल में तौकीर रजा समेत आठ आरोपी भेजे गए जेल।

10 अभियोग पंजीकृत के साथ-साथ जनपद में 48 घंटे इंटरनेट सेवा बंद।

कल को जुमे की नमाज के बाद भड़की थी हिंसा, वर्तमान हालत सामान्य।

प्रवाह ब्यूरो
बरेली। आई लव मोहम्‍मद’ विवाद को लेकर बरेली में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने शनिवार दोपहर मौलाना तौकीर रजा को अरेस्‍ट कर लिया है। जहां मौलाना तौकीर रजा समेत आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही पुलिस ने जनपद के विभिन्न थानों में 10 मुकदमे दर्ज किए हैं। जिसमें तौकीर रजा को बलवा कराने का आरोपी बनाया गया है। साथ ही बरेली जनपद में अग्रिम आदेश तक 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है। बरेली में शुक्रवार को हुए बवाल के बाद पुलिस ने ये बड़ी कार्रवाई की है। पंजीकृत एक अभियोग में मौलाना तौकीर को बलवा कराने का आरोपी बनाया गया है। गिरफ्तारी के बाद शनिवार दोपहर मौलाना समेत आठों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। 
बरेली एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि जुमे की नमाज के बाद अलग-अलग जगहों पर हिंसक प्रदर्शन किया। इसमें अब तक कुल 10 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। जिनमें कोतवाली में पांच, बारादरी में दो, थाना किला, प्रेमनगर और कैंट में एक-एक एफआईआर दर्ज कराई गई है। मौलाना तौकीर रजा समेत आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इसके अलावा पुलिस 39 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। 
इस बवाल में 17 पुलिसकर्मी के साथ-साथ 40 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
वहीं दूसरी तरफ बवाल की वीडियो इधर-उधर वायरल होने के चलते पूरे जनपद में अगले 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा को भी बंद करने के आदेश जारी कर दिये गए हैं।
गौरतलब है कि शुक्रवार को बरेली में जुमे की नमाज के बाद अचानक से लोगों की भीड़ सड़क पर उतर आई थी। पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो लोग पथराव करने लगे। इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। तब जाकर लोग जूते चप्‍पल सड़कों पर छोड़कर जान बचाने के लिए भागे। कई लोग चोटिल भी हुए हैं। जहां मौलाना तौकीर रजा ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। इसके बाद हिंसा भड़की थी। पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के बाद उपद्रवी जान बचाकर भागते नजर आए। सड़क पर कई जगहों पर चप्‍पलों के ढेर बिखरे दिखे। इस भीड़ में नाबालिग लड़कों की संख्‍या भी खूब नजर आई। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के निर्देश के बाद पुलिस ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की है। करीब दो हजार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
जिसके चलते ही शनिवार दोपहर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि मौलाना भूल गया कि यूपी में किसकी सरकार है। ऐसा सबक सिखाएंगे कि अब हिंसा करने से पहले सौ बार सोचेंगे।

जाको राखे साईंया मार सके ना कोय : गांव के बाहर प्लाट में पड़ा मिला लावारिस नवजात शिशु।

एक सांप और दो कुत्तों के करीब निर्भय लेटा हुआ था नवजात शिशु।

संभल में थाना जुनावई क्षेत्र के गांव सिहोरा का है पूरा मामला।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। सच ही कहा गया है कि ‘जाको राखे साइयां मार सके ना कोय, ऐसा ही एक वाकिया संभल के जुनावई क्षेत्र में चरितार्थ हुआ है। थाना जुनावई क्षेत्र के सिहोरा गांव में उस समय हड़कंप मच गया जब जिला पंचायत सदस्य विजय यादव के माता-पिता ने गांव के बाहर एक प्लाट में लावारिस हालत में पड़े नवजात शिशु को देखा।
बच्चे की किलकारी सुन कर जब जिला पंचायत सदस्य की मां और पिता मौके पर पहुंचे तो बच्चे के पास एक सांप तथा दो कुत्ते भी पास बैठे हुए मिले। अचानक शिशु के रोने की आवाज सुनकर लोग मौके पर पहुँचे और तुरंत उसे सुरक्षित उठाकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जहां थाना पुलिस को सूचना भी दे दी गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने नवजात का मेडिकल परीक्षण कराया और चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी एवं चाइल्ड हेल्पलाइन को मामले की जानकारी दी। उधर ग्रामीणों में चर्चा है कि यह किसी की अमानवीय हरकत है, लेकिन भगवान की कृपा से शिशु बिल्कुल सुरक्षित है।
बता दें कि जुनावई थाना क्षेत्र के सिहोरा गांव के रहने वाले जिला पंचायत सदस्य विजय यादव का गांव के ही नजदीक ही एक प्लाॅट है। शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे विजय यादव की मां मीना देवी और पिता करन सिंह यादव अपने प्लाॅट में तोरई की बेल से तोरई तोड़ रहे थे। तभी उन्हें किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने तोरई की बेल के अंदर झांक कर देखा तो एक नवजात बच्चा रो रहा था जबकि बच्चे के बिल्कुल नजदीक ही एक सांप रेंग रहा था साथ ही वहां दो कुत्ते भी पहले से मौजूद थे। दंपती ने बच्चे को बेल की झाड़ियों से सुरक्षित बाहर निकाल लिया और घर ले गए। जहां से नवजात को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जुनावई ले जाया गया।
डॉक्टरों ने बताया कि शिशु की हालत अब स्थिर है। बाद में गांव की महिला सरोज ने ही उस नवजात बच्चे को गोद ले लिया। सिहोरा गांव निवासी सरोज इस बच्चे की पालन पोषण की जिम्मेदारी अब स्वयं निभाएंगी। बता दें कि सरोज की पहले से तीन बेटियां भी हैं।
उधर पुलिस ने भी अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आसपास के क्षेत्रों में पूछताछ की जा रही है और सीसीटीवी फुटेज आदि की भी मदद ली जा रही है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि शिशु को वहां किसने और क्यों छोड़ा। क्षेत्र में हुई ऐसी अमानवीय घटना से ग्रामीणों में भी आक्रोश है।
थाना प्रभारी मेघपाल सिंह ने बताया सूचना पर पहुंची थाना पुलिस ने बच्चे का सीएचसी में मेडिकल परीक्षण कराया है। जबकि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। इस संबंध में चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी और चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना दी जा चुकी है।

संभल में रहनुमा बनी एक दिवसीय डीएम, तो वहीं नमरा नाज को बनाया गया एक दिन का एसपी।

डीएम बनी रहनुमा ने कहा- चंदौसी की सड़कों की व्यवस्था सुधारी जाए।

बच्चियों की उच्च शिक्षा को वरीयता व बाल विवाह पर लगाई जाए रोक।

मिशन शक्ति अभियान के तहत मिली जिम्मेदारी, प्रशासनिक कार्यों का किया संचालन।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। यूपी के संभल में मिशन शक्ति अभियान के तहत एक अनूठी पहल की गई जहां महिला सशक्तिकरण के तहत मिशन शक्ति अभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से छात्रा रहनुमा को एक दिन का डीएम तथा नमरा राज को एक दिन का पुलिस कप्तान बनाया गया। इसके अलावा साक्षी चौहान को एक दिवसीय मुख्य विकास अधिकारी व संगीता कुमारी को उप जिलाधिकारी बनाया गया।
जहां उन्होंने संबंधित सभी अधिकारियों के साथ एक दिन का पदभार ग्रहण करते हुए अधिकारियों को समस्याओं से अवगत कराया तथा निस्तारण के निर्देश भी दिए।
बहजोई कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक के दौरान एक दिन की डीएम बनी छात्रा रहनुमा ने जिलाधिकारी की कुर्सी संभालते हुए संबंधित अधिकारियों को समस्याओं से अवगत करा निस्तारण के निर्देश दिए। एक दिन की डीएम बनी रहनुमा ने चंदौसी की सड़कों का मुद्दा उठाया तथा सीता आश्रम पुलिस चौकी से पथरा मोड तक सड़क निर्माण तथा मरम्मत कार्य के निर्देश दिए। इसके अलावा बच्चियों के लिए उच्च शिक्षा को वरीयता देने को कहा तथा किशोर अवस्था में बाल विवाह पर रोक लगाने और विशेषकर अल्पसंख्यक समाज में बाल विवाह प्रथा को रोकने के निर्देश दिए। इसके अलावा मिशन शक्ति अभियान के तहत एसपी कृष्ण कुमार ने शासन के निर्देश पर चंदौसी की जी.के. सिल्वरस्टोन सीनियर सेकेंडरी स्कूल की कक्षा 11 की छात्रा नमरा नाज को एक दिन का एसपी बनाया।

जहां उन्होंने भी मिशन शक्ति अभियान के तहत बालिकाओं तथा महिलाओं पर  अपराधों के खिलाफ चर्चा की तथा रोक लगाने को कहा। वहीं सीडीओ बनी साक्षी चौहान ने महिला स्वरोजगार व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनाओं के क्रियान्वान पर जोर दिया।
जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि मिशन शक्ति नारी शक्ति को सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक रूप से मजबूत बनाने का जनांदोलन है। पुलिस अधीक्षक केके बिश्नोई ने बताया कि जनपद में महिलाओं के लिए सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग और साइबर सुरक्षा जागरूकता जैसे विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
अवगत रहे कि सीएम योगी द्वारा चलाये जा रहे उपरोक्त मिशन शक्ति अभियान का उद्देश्य महिलाओं में आत्मविश्वास जगाना व नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।

कल्कि नगर हो संभल का नाम : गुलाब देवी।

बोलीं- कल्कि अवतार के स्थान का नाम हो ‘संभल’ यह शोभा नहीं देता।

कहा- जैसे अंधे को लकड़ी का सहारा वैसे ही विपक्षियों को है मुगलों का सहारा।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। उत्तर प्रदेश में लगातार शहरों के नाम बदलने की चर्चा के बीच अब संभल का नाम भी बदलने की मांग भी जोर पकड़ रही है। जिसके चलते प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह किया है कि संभल का नाम बदलकर ‘कल्कि नगर’ रखा जाए।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि धार्मिक नगरी संभल में भविष्य में भगवान श्री कल्कि अवतार होने की मान्यता है, ऐसे में इस शहर का मौजूदा नाम इसकी गरिमा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि संभल धार्मिक तीर्थ है, इसका नाम कल्कि नगर या किसी अन्य महान व्यक्तित्व के नाम पर रखा जाना चाहिए जिसे मुख्यमंत्री स्वयं उचित समझते हों। वहीं नाम बदलने का विरोध करनें पर भी उन्होंने विपक्ष पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष शहरों के मुगलिया नामों को ही महत्व देता है क्योंकि जैसे अंधे को लकड़ी का सहारा वैसे ही विपक्षियों को सिर्फ और सिर्फ मुगलों का सहारा है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि नाम बदलने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है जिसके चलते ही और उन्होंने सीएम योगी से इस मांग पर गंभीरता से पुन: विचार करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि गांव आनंदपुर में जिला मुख्यालय का शिलान्यास करने मुख्यमंत्री जी आए थे, तो हमने जनता की अपील पर उनसे अनुरोध भी किया था। जैसे और शहरों का नाम बदला जा रहा है उसी प्रकार संभल का नाम भी बदलकर कल्कि नगर रख दिया जाए।
आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 28 सितंबर 2011 को जनपद भीम नगर के नाम से गठन किया था। जनपद मुरादाबाद की संभल और चंदौसी तहसील के अलावा जनपद बदायूं की गुन्नौर तहसील को मिलाकर के जिला बनाया गया था। 2012 में सपा सरकार आने के बाद जनपद का नाम बदलकर संभल कर दिया गया। तब से आज तक निरंतर यही नाम प्रचलित है। प्रदेश में आठ वर्ष से अधिक बीजेपी की सरकार रहने के बावजूद भी जनपद का नाम नहीं बदल गया। अब बीजेपी सरकार की शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने स्वयं जनपद का नाम बदलने की मांग को उठाकर प्रदेश में एक नयी राजनीतिक चर्चा को हवा दे दी है।

अनुज चौधरी के ट्रांसफर पर सपा सांसद बर्क का तंज, बोले- ऐसे अधिकारी को पुलिस सेवा में रहने का कोई हक नहीं।

कहा- बीजेपी मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान और गोश्त तक सीमित रह गई।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क सोमवार को संभल लोकसभा की बिलारी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। जहां उन्होंने सीएम पर बनी फिल्म आदि के माध्यम से योगी सरकार पर जमकर जुवानी पलटवार किये। इतना ही नही सपा सांसद बर्क सरकार पर जुवानी वार करने के साथ-साथ चर्चित एएसपी अनुज चौधरी पर भी तंज कसना नहीं भूले। जहां उन्होनें ट्रांसफर को लेकर कहा कि अधिकारियों की जिम्मेदारी जनता की रक्षा करना है किन्तु जब किसी घटना में उनका रोल रहा है तो उन्हें सरकार द्वारा दंडित होना चाहिए। जबकि ऐसे अधिकारी पर तो बहुत पहले कार्रवाई होनी चाहिए थी। इन्हें पुलिस सेवा में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन अफसोस कि सरकार ने कार्रवाई करने की बजाय उन्हें प्रमोशन दे दिया। इससे जो अधिकारी सही काम करना चाहते हैं, उन पर भी असर पड़ेगा। खैर, सरकार ने जब ट्रांसफर कर दिया है तो मैं उम्मीद करता हूं कि अब संभल की परिस्थिति में कोई ऐसा बदलाव न हो, और सभी नागरिक शांति और सुकून के साथ रहेंगे। जहां बर्क ने सीएम योगी पर बनी फिल्म “अजेयःद अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी” पर कहा- पहले फिल्में मनोरंजन के लिए बनती थीं और सच्चाई दिखाती थीं। अब फिल्मों का भी राजनीतिकरण हो गया है। धर्म के नाम पर भेदभाव का प्रयास किया जा रहा है। हमारी मांग है कि सरकार और सेंसर बोर्ड को इस पर तुरंत एक्शन लेकर ऐसी फिल्मों को रोक देना चाहिए। साथ ही ऐसी चीजों से बीजेपी को अब बाज आना चाहिए और मुख्य मुद्दे व जनहित के कार्यों पर फोकस करना चाहिए लेकिन बीजेपी अब मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान व गोश्त तक सीमित रह गई है।

संभल में अवैध अस्पतालों से 5 लाख तक की वसूली जाती थी रंगदारी।

अवैध वसूली करने वाले चार दलाल गिरफ्तार, सात के खिलाफ दर्ज हुआ है मुकदमा।

स्वास्थ्य कर्मी भी सम्मिलित हैं दलालों में, घटना घटित होने पर मांगते थे अतिरिक्त रुपए।

31 अस्पताल किए गए थे चैक, 19 पर हुआ मुकदमा पंजीकृत।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। संभल जनपद में अवैध अस्पतालों के खिलाफ चलाए गए अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम और पुलिस ने संयुक्त रूप से 31 अस्पतालों पर चेकिंग अभियान चलाकर 19 अस्पतालों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। अवैध अस्पतालों पर अवैध वसूली करने वाले सात दलालों के नाम सामने आए हैं। जिनमें स्वास्थ्य कर्मी भी शामिल हैं तथा चार को गिरफ्तार कर लिया गया है। जिलाधिकारी तथा एसपी ने गिरफ्तार हुए दलालों का खुलासा करते हुए प्रेस वार्ता कर जानकारी दी है।
संभल जिलाधिकारी डाॅ. राजेंद्र पैंसिया व एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई द्वारा जनपद में गैर पंजीकृत अस्पतालों तथा झोलाछाप चिकित्सकों के विरुद्ध चलाए जा रहे  अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग में राजस्व विभाग तथा पुलिस के सहयोग से छापेमारी कर 31 अस्पतालों को चेक किया था। जिनमें से 19 अवैध अस्पतालों में अनियमितता पाई गई। सभी 19 के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया गया है।
जिनमें से चंदौसी में तीन बहजोई में दो, जुनावई में एक, रायसत्ती में एक, गुन्नौर में 6 तथा रजपुरा में 4 व धनारी में दो अस्पतालों पर कार्यवाई की गई है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए अपर पुलिस अधीक्षक अनुकृति शर्मा के निर्देशन में गठित हुई टीमों द्वारा अस्पतालों के विरुद्ध पहले भी कार्रवाई की गई थी। लेकिन उल्लंघन करते हुए पुनः अवैध अस्पतालों को संचालित कर लिया गया था। विवेचना के दौरान सामने आया कि अवैध अस्पतालों से दलालों द्वारा एक लाख रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक अवैध वसूली की जाती है तथा किसी भी प्रकार की घटना घटित होने पर अतिरिक्त रुपए दिए जाते हैं। ऐसे सात दलालों के नाम सामने आए।
जिनमें बहजोई के सादातवाड़ी निवासी जगतपाल पुत्र जवाहरलाल, जुनावई थाना क्षेत्र के अहरोला नवाजी गांव निवासी प्रेम सिंह पुत्र गंगा सिंह, रजपुरा के बहटकरण गांव निवासी बबलू गिरी पुत्र आनंद गिरि, बुलंदशहर के नरौरा निवासी संगम पुत्र नंदकिशोर, चंदौसी के ग्रीन चंदौसी निवासी नितिन उर्फ जितेंद्र नाथ गुप्ता, संभल के सराय तरीन निवासी राजीव कौशिक तथा चंदौसी के ही गौरव बंसल का नाम दलालों में सामने आया।

अवैध अस्पतालों पर 5 लाख तक की मांगते थे रंगदारी, घटना घटित होने पर लेटे थे अतिरिक्त।

अभियान के तहत अवैध अस्पतालों पर रंगदारी मांगने वाले साथ दलालों के नाम जहां सामने आए तो वहीं उनमें से चार को गिरफ्तार कर दिया गया।
जिनमें से बबलू गिरी, प्रेम सिंह तथा संगम द्वारा गुन्नौर तहसील क्षेत्र के अवैध अस्पतालों पर मुकदमा दर्ज करने की धमकी देते हुए अवैध वसूली की जाती थी। जब पैसा नहीं दिया जाता था तो जान से मारने की धमकी देते थे तथा मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी जाती थी।
जगतपाल नितिन तथा गौरव बंसल द्वारा संभल व चंदौसी तहसील क्षेत्र के अवैध अस्पतालों को देखा जाता था।
संभल तथा चंदौसी तहसील क्षेत्र में 5 से 10 लाख तक की अवैध वसूली होती थी।
इतना ही नहीं फर्जी रजिस्ट्रेशन करने के नाम पर गुन्नौर के कृष्णा नर्सिंग होम से पंजीकरण के लिए 1.50 लाख रुपए लिए गए थे। जहां जांच में रजिस्ट्रेशन फर्जी पाया गया।
अभियान के तहत सात दलालों के नाम सामने आए। जिनमें से अभी तीन दलाल फरार चल रहे हैं।
दलालों में स्वास्थ्य विभाग से वार्ड बॉय तथा फिजियोथैरेपिस्ट भी सम्मिलित है।

कोर्ट के आदेश पर हटवाया अवैध कब्जा, पुलिस बल के साथ पहुंचे नायब तहसीलदार।

कैला देवी थाना क्षेत्र के मढ़ावली गांव का मामला, परिजनों ने जताया विरोध।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। संभल के कैला देवी थाना क्षेत्र के मढ़ावली गांव में अवैध निर्माण व जमीन से अवैध कब्जा हटाने को नायब तहसीलदार पुलिस बल के साथ पहुंचे। जहां उन्होंने भारी पुलिस बल के बीच जेसीबी से अवैध निर्माण को ध्वस्त कराया। अवैध कब्जा हटाते समय ग्रामीणों की भीड़ एकत्रित हो गई।
गुन्नौर तहसील क्षेत्र व कैला देवी थाना क्षेत्र के मढ़ावली गांव निवासी दलपत सिंह की पत्नी चंद्रवती के नाम भूमि थी। जिसे 10 साल पहले गांव के ही धर्मपाल को बेचा गया था। जिस पर धर्मपाल ने अपना मकान भी बना लिया था, लेकिन उस समय बैनामा नहीं कराया गया था।
मामला न्यायालय में विचाराधीन था। महिला के बेटे कोमल सिंह ने फर्जी बैनामा करा कर जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण करने की शिकायत भी की थी ।
परिजनों की मानें तो कुछ दिन पहले बैनामा करा लिया गया था। कोर्ट के आदेश पर बीते दिन एसडीएम गुन्नौर तहसीलदार तथा राजस्व टीम जेसीबी के साथ मौके पर पहुंची थी।
लेकिन धर्मपाल सिंह से जानकारी की गई थी तो उसने कागजात दिखाए थे और टीम वापस लौट आई थी।
बुधवार को नायब तहसीलदार गुन्नौर राजस्व टीम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची और जेसीबी के जरिए अवैध निर्माण को हटवा दिया।
बुधवार को धर्मपाल और उसकी पत्नी इसी मामले में गुन्नौर एसडीएम कोर्ट गए हुए थे। इधर दूसरी तरफ  जेसीबी के साथ राजस्व टीम मौके पर पहुंची और अवैध निर्माण को ध्वस्त करा दिया।
जैसे ही धर्मपाल की पत्नी आई तो वह जेसीबी के आगे खड़ी होकर विरोध करने लगी।  जहां परिजनों ने भी विरोध जताया। उनका कहना था कि हमारे पास बैनामा के कागजात हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी ने कागजात नहीं देखे।

संभल से अनुज चौधरी सहित यूपी में 44 पुलिस अफसरों का ट्रांसफर।

◆ संभल में हाल ही में सीओ से एएसपी बने थे अनुज कुमार चौधरी।

अनुज चौधरी को फिरोजाबाद में एडिशनल एसपी ग्रामीण बनाया गया।

प्रवाह ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने 44 पुलिस अफसरों को इधर से उधर किया है। जिसमें संभल के चर्चित अनुज चौधरी भी सम्मिलित हैं जिन्हें फिरोजाबाद में एएसपी ग्रामीण का पद दिया गया है। अनुज चौधरी हाल ही में सीओ से एएसपी बने थे। अनुज कुमार चौधरी खेल कोटा से एएसपी के पद तक पहुंचने वाले यूपी के पहले पुलिस अफसर बन गए हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को 44 पुलिस अफसर का ट्रांसफर कर दिया है। जिसमें सीओ से एएसपी बनने वाले 17 पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं। इसके साथ ही 13 डिप्टी एसपी भी ट्रांसफर किए गए हैं। संभल के चर्चित व सीओ से एएसपी बने अनुज कुमार चौधरी संभल में अत्यंत चर्चा में रहे। जामा मस्जिद की सर्वे के दौरान हिंसा को काबू करते समय स्वयं गोली लगने से घायल भी हो गए थे। जिनके पैर में गोली लगी थी।
इसके अलावा वह अपने अन्य बयानों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं। इतना ही एसपी अनुज चौधरी धार्मिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

हाल में ही इन्हें योगी सरकार ने सीओ से एएसपी बनाया था। जिसके चलते ही खेल कोटा से एएसपी के पद तक पहुंचने वाले ये यूपी के पहले पुलिस अफसर बने थे। अब पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश द्वारा जनहित में किये गये तबादलों के अनुक्रम उन्हें संभल से फिरोजाबाद में एएसपी ग्रामीण का पद दिया गया है।

शिक्षकों के लिए खुशखबरी! योगी सरकार का टीईटी की अनिवार्यता को लेकर बड़ा फैसला।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश बाद सेवा में बने रहने या प्रमोशन पाने के लिए शिक्षकों को पास करना अनिवार्य कर दिया गया था टीईटी।

प्रवाह ब्यूरो
लखनऊ। यूपी के लाखों शिक्षकों को राहत देने वाली खबर सामने आई है। प्रदेश के सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दिया है। सीएम योगी का कहना है कि हमारे प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और समय-समय पर सरकार की तरफ से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है। ऐसे में उनकी योग्यता और सेवा के वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।
जहां सीएम कार्यालय की ओर से सोशल साइट X एक पर पोस्ट किया गया है जिसमें प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश देकर सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य बनाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने की बात कही है। जिससे प्रदेश के शिक्षकों में राहत की एक किरण जगी है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सेवा में बने रहने के लिए या फिर प्रमोशन पाने के लिए कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। शीर्ष अदालत के फैसले से लाखों शिक्षकों के माथे पर बल पड़ गया था।
हालांकि जिन टीचर्स के रिटायरमेंट में केवल 5 साल का समय बचा है, उन्हें इसमें छूट दी गई है। वे बिना टीईटी पास किए भी अपनी सेवा पूरी कर सकेंगे।
बता दें कि टीईटी परीक्षा, जिसका पूरा नाम Teacher Eligibility Test (शिक्षक पात्रता परीक्षा) है। भारत में शिक्षकों की भर्ती के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा है। कक्षा 1 से 8 तक के शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अनिवार्य हो गया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में इसको लेकर जगह-जगह शिक्षक प्रदर्शन भी कर रहे हैं। सीएम के निर्देशन के बाद राज्य सरकार अब इस निर्देश को चुनौती देगी। जिसमें मौजूदा शिक्षकों के अनुभव और प्रशिक्षण को समीक्षा का आधार बताया गया है।
शिक्षक संगठन लगातार राहत की मांग कर रहे हैं। इस विषय को लेकर कुछ प्रतिनिधियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी मुलाकात की थी। जिसके चलते सरकार शिक्षकों को राहत दिलाने पर विचार कर रही थी। अब सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद शिक्षा विभाग सक्रिय हो गया है। जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का रिवीजन दाखिल किया जाएगा।

जिलेभर में अवैध अस्पतालों पर छापेमारी से झोलाछापों में हड़कंप।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुलिस के सहयोग से चलाया जा रहा छापेमारी का अभियान।

फर्जी चिकित्सीय डिग्री लगा, धड़ल्ले से संचालित हो रहे अस्पताल व नर्सिंग होम।

प्रवाह ब्यूरो
संभल। संभल जनपद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध अस्पतालों पर छापेमारी अभियान से जिले भर के झोलाछापों में हड़कंप मचा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनपद में पुलिस के सहयोग से लगातार अवैध अस्पतालों पर छापेमारी की जा रही है। लगभग 30 अवैध अस्पतालों पर छापेमारी कर कार्यवाई की तैयारी हो चुकी है। जहां संभल में एसडीएम तथा नोडल अधिकारी मनोज चौधरी, चंदौसी में तहसीलदार सहित स्वास्थ्य विभाग तथा बहजोई में एएसपी अनुकृति शर्मा के साथ तथा गुन्नौर क्षेत्र में एसडीएम तथा स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा लगातार छापेमारी की गई।
जिलेभर में संचालित अवैध अस्पताल संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुलिस के सहयोग से लगातार की जा रही छापेमारी से झोलाछापों में हड़कंप है।

झोलाछापों द्वारा बिना किसी चिकित्सीय डिग्री के फर्जी तरीके से किसी एमबीबीएस के डिग्री लगा दी जाती है और फर्जी रजिस्ट्रेशन के साथ अस्पताल या नर्सिंग होम तथा लैब संचालित कर ली जाती हैं।
मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करते हुए मोटी रकम भी वसूली जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में फर्जी चिकित्सा डिग्री तथा कोई भी चिकित्सा डिग्री नहीं होने पर भी धड़ल्ले से झोलाछाप अपनी दुकानें संचालित कर रहे हैं।
जिनके पास न तो कोई रजिस्ट्रेशन होता है और न ही इन्हें स्वास्थ्य विभाग या वरिष्ठ अधिकारियों का खौंफ। जिलेभर में 30 से अधिक अस्पतालों पर छापेमारी की जा चुकी है तथा अभियान के तहत लगातार स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुलिस के सहयोग से छापेमारी जारी रहेगी। इसी क्रम में संभल, चंदौसी, गुन्नौर तहसील क्षेत्र में मंगलवार सुबह से ही अभियान चलाया गया।

फर्जी लैब से फर्जी जांच कर शुरू कर देते हैं इलाज।

जनपद घर में पहले सुरक्षा बिना किसी चिकित्सा डिग्री के जहां मरीजों का इलाज करते हैं और मोटी रकम वसूलते हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी झोलाछाप फर्जी लैब में ही फर्जी तरीके से जांच कर उसी के आधार पर इलाज शुरू कर देते हैं। जिससे मरीजों की तबीयत और अधिक बिगड़ती चली जाती है और ये मोटी रकम वसूलते रहते हैं। इतना ही नहीं अगर इन पर दबाव बस कार्रवाई हो भी जाती है तो कुछ दिनों पश्चात ये अपनी लैब आदि को पुनः खोल लेते हैं क्योंकि उन्हें न मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने का डर होता है, न ही किसी स्वास्थ्य विभाग या अन्य उच्च अधिकारियों से सख्त कार्रवाई का।